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– 1 : प्रस्तावना और पृष्ठभूमि
तमिलनाडु का रामनाथपुरम ज़िला, जिसे लोग रामनाड नाम से भी जानते हैं, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जाता है। यहाँ स्थित रामेश्वरम केवल दक्षिण भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश और विश्व के हिंदू श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और समुद्र तट पर धार्मिक स्नान करते हैं।
इतिहासकार मानते हैं कि रामेश्वरम द्वीप का संबंध सीधे तौर पर रामायण काल से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने यहीं से समुद्र पर सेतु का निर्माण कर लंका की ओर प्रस्थान किया था। यही वजह है कि यह स्थान न केवल धार्मिक पर्यटकों के लिए बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अनुसंधानकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।
लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि इतनी महत्वपूर्ण जगह होने के बावजूद यहाँ तक पहुँचने के लिए कोई सीधी हवाई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यात्रियों को चेन्नई, मदुरै या तिरुचिरापल्ली तक उड़ान भरनी पड़ती है और वहाँ से सड़क मार्ग से कई घंटे की यात्रा कर के रामेश्वरम पहुँचना होता है।
इसी कमी को पूरा करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने रामनाथपुरम में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव रखा है। सरकार ने हाल ही में दो स्थानों — उचिपुल्ली (Uchipuli) और कीलाकरई (Keelakarai) — को शॉर्टलिस्ट किया है। अब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) इन दोनों स्थानों पर विस्तृत अध्ययन करेगा और उसके बाद अंतिम स्थल तय किया जाएगा।
भाग – 2 : हवाई अड्डे की आवश्यकता
रामनाथपुरम हवाई अड्डे की माँग कोई नई नहीं है। स्थानीय लोग और व्यवसायी पिछले कई दशकों से इस सुविधा की गुहार लगा रहे हैं। कारण स्पष्ट हैं —
1. पर्यटन की बढ़ती संख्या: हर साल लाखों लोग रामेश्वरम आते हैं। यदि सीधी हवाई सेवा उपलब्ध होगी तो यात्रियों की संख्या कई गुना बढ़ सकती है।
2. आर्थिक विकास: एयरपोर्ट से होटल, ट्रैवल एजेंसियाँ, गेस्ट हाउस, टैक्सी सेवाएँ और अन्य स्थानीय व्यवसायों को सीधा लाभ मिलेगा।
3. रोज़गार के अवसर: एयरपोर्ट निर्माण और उसके बाद संचालन से हजारों नौकरियाँ पैदा होंगी।
4. क्षेत्रीय संतुलन: तमिलनाडु के कई हिस्सों में पहले से हवाई अड्डे हैं, लेकिन दक्षिण–पूर्वी किनारे पर यह सुविधा लगभग नहीं है। रामनाथपुरम एयरपोर्ट इस कमी को पूरा करेगा।
5. आपदा प्रबंधन: यह इलाका चक्रवात और समुद्री तूफानों से प्रभावित रहता है। ऐसे समय में एक एयरपोर्ट राहत और बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभा सकता है।
भाग – 3 : योजना की यात्रा और टाइमलाइन
रामनाथपुरम एयरपोर्ट की चर्चा पहली बार 1990 के दशक में उठी थी। लेकिन उस समय इसे प्राथमिकता नहीं दी गई। 2000 के बाद जब देशभर में रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम (UDAN योजना) की शुरुआत हुई तो इस परियोजना पर फिर से विचार शुरू हुआ।
2017: तमिलनाडु सरकार ने पहली बार आधिकारिक तौर पर AAI से रामनाथपुरम हवाई अड्डे की संभावनाओं पर रिपोर्ट मांगी।
2019: जिला प्रशासन ने तीन संभावित स्थलों का प्रस्ताव भेजा।
2022: दो स्थलों — उचिपुल्ली और कीलाकरई — को शॉर्टलिस्ट किया गया।
2023: प्रारंभिक सर्वे और ज़मीन की उपलब्धता पर चर्चा हुई।
2024: तमिलनाडु सरकार ने औपचारिक घोषणा की कि यह हवाई अड्डा 500–600 एकड़ ज़मीन पर बनाया जाएगा।
2025: अब AAI ने प्री-फिज़िबिलिटी स्टडी शुरू करने की तैयारी कर ली है।
भाग – 4 : उचिपुल्ली बनाम कीलाकरई
1. उचिपुल्ली (Uchipuli):
यहाँ पहले से ही नौसेना का एयर स्टेशन INS Parundu मौजूद है।
यदि नागरिक उड्डयन मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच समझौता हो जाता है तो इसे सैन्य और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
फायदे: मौजूदा रनवे और बुनियादी ढाँचा उपलब्ध।
चुनौतियाँ: सुरक्षा कारणों से नौसेना की सहमति आवश्यक होगी।
2. कीलाकरई (Keelakarai):
यह स्थान समुद्र तट के नज़दीक है और यहाँ ज़मीन उपलब्धता अपेक्षाकृत अधिक है।
बेहतर सड़क संपर्क और स्थानीय प्रशासन का समर्थन भी यहाँ मौजूद है।
फायदे: नई ग्रीनफील्ड परियोजना के लिए पर्याप्त जगह और भविष्य में विस्तार की संभावना।
चुनौतियाँ: पूरी तरह से नई शुरुआत, इसलिए लागत और समय अधिक लग सकता है।
भाग – 5 : आर्थिक लाभ और संभावनाएँ
रामनाथपुरम हवाई अड्डे का सबसे बड़ा प्रभाव आर्थिक विकास के रूप में देखा जा रहा है।
(क) पर्यटन को बढ़ावा
रामेश्वरम पहले से ही धार्मिक पर्यटन का केंद्र है। अनुमान है कि अभी सालाना लगभग 50–60 लाख पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं, लेकिन हवाई अड्डा बन जाने के बाद यह संख्या 1 करोड़ से अधिक तक पहुँच सकती है। इससे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसियाँ, टैक्सी सेवाएँ, स्थानीय गाइड्स और स्मृति चिन्ह बेचने वालों को सीधा लाभ होगा।
(ख) रोज़गार के अवसर
निर्माण चरण में लगभग 15–20 हज़ार लोगों को काम मिलेगा।
एयरपोर्ट चालू होने के बाद सीधे तौर पर 3000–4000 लोगों को स्थायी नौकरी मिलेगी।
अप्रत्यक्ष रूप से होटल, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेक्टरों में हज़ारों नौकरियाँ पैदा होंगी।
(ग) उद्योग और व्यापार
रामनाथपुरम और आसपास के जिलों में मछली पकड़ने और समुद्री उत्पादों का बड़ा कारोबार है। एयरपोर्ट से इन उत्पादों का निर्यात आसान होगा। इससे स्थानीय मछुआरों और व्यापारियों की आमदनी बढ़ेगी।
(घ) शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र
बेहतर कनेक्टिविटी मिलने से यहाँ नए कॉलेज, मेडिकल इंस्टीट्यूट और रिसर्च सेंटर खुलने की संभावना भी बढ़ेगी। आपातकालीन मेडिकल सेवाओं (Air Ambulance) के लिए भी हवाई अड्डा मददगार होगा।
भाग – 6 : जनता की प्रतिक्रियाएँ
रामनाथपुरम और आसपास के गाँवों के लोगों में इस परियोजना को लेकर उत्साह भी है और कुछ आशंकाएँ भी।
उत्साह:
युवाओं का मानना है कि उन्हें अब बाहर नौकरी ढूँढने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
स्थानीय व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि पर्यटक बढ़ने से उनका कारोबार दोगुना हो जाएगा।
समाजसेवी संस्थाएँ मानती हैं कि एयरपोर्ट से इस पिछड़े इलाके की तस्वीर बदल जाएगी।
आशंकाएँ:
किसानों को डर है कि उनकी उपजाऊ ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में जा सकती है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि समुद्री तट के करीब एयरपोर्ट बनने से तटीय पारिस्थितिकी पर असर पड़ सकता है।
कुछ स्थानीय लोगों को यह भी डर है कि इससे जीवनयापन की लागत बढ़ जाएगी।
भाग – 7 : पर्यावरणीय असर
कोई भी बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर्यावरणीय दृष्टि से चुनौतियाँ लेकर आता है।
मैंग्रोव और तटीय जैव विविधता: कीलाकरई इलाका समुद्र के करीब है, जहाँ मैंग्रोव और प्रवाल भित्तियाँ (Coral Reefs) हैं। एयरपोर्ट निर्माण से इन पर असर पड़ सकता है।
पक्षियों का प्रवास: उचिपुल्ली और आसपास का क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए अहम है। रनवे और हवाई यातायात से पक्षियों की संख्या प्रभावित हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन: हवाई अड्डों से कार्बन उत्सर्जन होता है। इसलिए यहाँ ग्रीन एयरपोर्ट की अवधारणा को लागू करने की ज़रूरत होगी, जिसमें सोलर ऊर्जा, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और कार्बन ऑफ़सेट प्रोग्राम शामिल किए जाएँ।
सरकार ने आश्वासन दिया है कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के बाद ही अंतिम मंज़ूरी दी जाएगी।
भाग – 8 : राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय तुलना
भारत में पहले भी कई ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाए जा चुके हैं, जैसे –
दिलीपात्रा एयरपोर्ट (गोवा)
राजा भोज एयरपोर्ट (भोपाल)
कर्नाटक का शिवमोगा एयरपोर्ट
इनसे यह साबित होता है कि नए हवाई अड्डे न केवल यात्रियों के लिए सहूलियत लाते हैं बल्कि क्षेत्रीय विकास का इंजन भी बनते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उदाहरण हैं –
सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट, जिसने पूरे शहर को वैश्विक हब बना दिया।
दुबई एयरपोर्ट, जिसने रेगिस्तानी क्षेत्र को बिज़नेस और पर्यटन का केंद्र बना दिया।
रामनाथपुरम एयरपोर्ट को भी यदि सही ढंग से विकसित किया गया तो यह पूरे दक्षिण एशिया के धार्मिक पर्यटन में एक नया हब बन सकता है।
भाग – 9 : राजनीतिक और प्रशासनिक पहलू
इस परियोजना को लेकर तमिलनाडु की राजनीति भी सक्रिय है।
राज्य सरकार इसे अपनी विकास नीतियों की बड़ी उपलब्धि बताना चाहती है।
केंद्र सरकार इसे UDAN योजना की सफलता के रूप में पेश कर रही है।
विपक्ष का कहना है कि इस परियोजना को केवल चुनावी फायदे के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है।
लेकिन एक बात तय है — जनता को यदि इस योजना का सही लाभ मिला तो यह परियोजना आने वाले वर्षों में तमिलनाडु की राजनीति की मुख्य उपलब्धियों में गिनी जाएगी
भाग – 10 : भविष्य की संभावनाएँ और निष्कर्ष
रामनाथपुरम एयरपोर्ट केवल एक परिवहन सुविधा नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की किस्मत बदलने वाला कदम हो सकता है।
धार्मिक पर्यटन को विश्व स्तर तक पहुँचाने का मौका।
स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार और व्यवसाय के नए रास्ते।
मछली और समुद्री उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर विदेशी मुद्रा अर्जन।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार।
हाँ, इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी होंगी —
पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना।
स्थानीय किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा।
परियोजना को समय पर और तय बजट में पूरा करना।
यदि सरकार और स्थानीय प्रशासन इन चुनौतियों का समाधान निकाल लेते हैं तो आने वाले वर्षों में रामनाथपुरम एयरपोर्ट तमिलनाडु का गौरव बन सकता है।
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